Tuesday, January 31, 2017

कुछ प्राकृतिक नियम स्वस्थ रक्षा के लिए लाभप्रद है


कुछ प्राकृतिक नियम स्वस्थ रक्षा के लिए लाभप्रद है

१) प्रात: काल  उठकर कुल्ला करके एक गिलास ताजा जल पिये , सूर्योदय से पूर्व उठे इससे चित्त प्रसन्न रहता है |

२) रात को किसी तांबे के बर्तन में पानी रख दे | प्रात: काल शौच जाने से पूर्व नित्य उस पानी को पीते रहने से पाखाना खुलकर आता है , कब्ज नहीं रहती |

३) शौच करते समय दांतों को खूब दबाकर बैठने से दांत जीवन भर नहीं हिलते और न कभी लकवा रोग की शिकायत ही होती है |

४) हाथ मुह धोते समय मुह में एक घूंट पानी को भरकर आँखों पर पानी के छींटे दे इससे आँखो की रोशनी बढ़ जाती है |

५) भोजन से पहले हाथ मुह धोये | इससे अच्छी भूख लगती है|

६) भोजन करते समय पानी न पिये अगर विशेष जरुरत हो तो एक घूंट ले सकते है | भोजन के एक घंटे बाद ही पानी पिये इससे भोजन पेट में आसानी से पच जाता है |

७) भोजन के बाद थोड़ी देर के लिए घूमना जरुरी है | रात्रि में सोने से पहले पानी पिने हितकारी है |

८) सप्ताह में एक बार सरसों के तेल की मालिश जरुरी है | चिंता करने से जितनी स्वस्थ की हानि होती है उतनी किसी रोग से नहीं होती |

इन नियमो के पालन से मनुष्य का जीवन उज्जवल बनता है


शिस्टाचार के नियम 


१) अपने से उम्र में बड़े व्यक्ति को ' आप ' कहकर , अपने बराबर तथा अपने से छोटी उम्र के व्यक्ति को ' तुम 'कहकर बोलना चाहिए |

२) हमारे शास्त्रों में उल्लेख है की गुरुजनों को नित्य प्रणाम करने से तथा उनकी सेवा करने से आयु , विद्या , यश और बल की वृद्धि होती है | इसलिए दोनों हाथ जोड़कर , मस्तक झुकाकर उन्हें प्रणाम करना चाहिए |

३) अपनों से बड़ो के आने पर खड़े होकर प्रणाम करके उन्हें मान देना चाहिए | उनके बैठ जाने पर ही स्वयं बैठना चाहिए |

४) परिस्तिथीवश अगर माता पिता आपकी कोई वस्तु की मांग पूरी न कर सके तो उस वस्तु के लिए या उस बात के लिए हठ नहीं करना चाहिए | उनके सामने कभी भी उलटकर उत्तर न दे |

क्या आपके पास सच्चे मित्र है ? अच्छे मित्र के लक्षण इस प्रकार है |

अच्छे मित्र के लक्षण इस प्रकार है 

१) वह पापो से दूर रखता है 

अगर हम कोई पाप कार्य करे तो सच्चा दोस्त हमेशा इसका विरोध करता है | इस गलत कार्य में कभी भी साथ नहीं देता है 
वह चाहता है किस प्रकार हमारा भला हो | किससे हमारे उन्नति हो | अगर कोई मित्र आपके बुरे काम में समर्थन करता है तो समझो 
वह सच्चे मित्र हो ही नहीं सकते | इस प्रकार के मित्र से कोसो दूर रहना चाहिए | इस प्रकार के मित्र आपके उन्नति पथ पे बाधक है |

२) भले कार्य  में लगाता है 

अच्छे मित्र हमेशा अच्छा सुझाव देता है | हमें हमेशा भले कार्य में लगाता है | गलत कामो से दूर रखता है | अपने मित्र का भला किसमे हो यही सोचता है |

३) रहस्य की बातों को छिपाता है 

अच्छे मित्र हमेशा अपने मित्र की बातो को गुप्त रखता है | मित्र के किसी भी बात को सर्वजनिक नहीं करते है | रहस्य की बातो को
किसी भी हाल में प्रकाश में नहीं लाते है | अपने मित्रता की गरिमा बनाये रखते है |

४) गुणों को प्रकट करता है 

अपने मित्र के गुणों को हमेशा प्रकट करता है | सार्वजनक मंच पर , सभी के सामने अपने मित्र को गुणों को व्यक्त करता है | अपने मित्र के प्रति कभी भी ईर्षा नहीं रखते है | अपने मित्र पर गर्व करते है |

५) विपत्ति आने पर साथ नहीं छोड़ता है 

मुसीबत में साथ छोड़ने वाले कभी भी सच्चे मित्र हो ही नहीं सकते | अच्छे मित्र ले लक्षण ये है की जितनी भी मुसीबत आये वह तुम्हारा 
साथ कभी भी नहीं छोड़ेगा | 

६) आवश्यकता पड़ने पर धन आदि देकर सहायता करते है 

आवश्यकता पड़ने पर आपके मित्र आपको धन आदि देकर सहायता  करेंगे तो मान लो यही आपके सच्चे मित्र है, पर आपका भी 
कर्त्तव्य है की आप कृतज्ञ हो और जैसे ही सामर्थ हो उन्हें धन वापस  कर दे |

Monday, January 30, 2017

आपके जीवन में महान परिवर्तन लायेगा

काम की बातें 


यौवन , बल , सत्ता तथा धन के मद में यह नही भुल जाना चाहिए की ये सभी सदा के लिए नहीं बल्कि क्षणभंगुर है । 

ईर्ष्या के कारण सभी को दुख उठाना पड़ता है । 

छोटे से छोटे जीव के प्रति भी दिखाई गयी अनुकंपा व्यर्थ नहीं जाती । 

खुशामदी लोग अपना मतलब सिद्ध करने  के लिए लोगो को चिकनी -चुपड़ी बातो से मुग्ध कर लेते है । उनकी झूठी प्रशंसा पर बिस्वास कर लेने से काफी हानि उठानी पड़ती है । 

लोगो को उपदेश नहीं सहायता की जरुरत  पड़ती है । 

कायर लोग बहुधा अपने साहस का दिखावा करते रहते है , पर मौके पर उन्हें पीठ दिखाते देर नहीं लगती । 

स्थान , काल व पात्र देखकर ही उपदेश देना उचित है । 

कोई भी कार्य आरंभ करने से पहले अपनी सामर्थ देख लेनी चाहिए । 

धीमी गति से भी , परंतु दृढ़तापूर्वक चलनेवाला अंत में सफलता हासिल करता है । 

मनुष्य  को अपनी दुरावस्था के समय निराश नहीं  होना चाहिए ।   हम चाहे जितनी भी कठिनाई में क्यों न हो , ऐसे अनेक लोग मिल जायेंगे , जिनकी अवस्था हमसे भी ख़राब होगी । बल्कि उनके प्रति संवेदना का भाव रखने से अपने कष्टों तथा कठिनाईयो की बात भी विस्मृत हो जाती है । 

संगठन में ही बल है । घास के छोटे छोटे टुकड़ो से बने हुए रस्से के द्वारा मतवाला हाथी भी बाँधा जा सकता है । 

मनुष्य को अपनी क्षमता के अनुरूप ही आकांक्षा रखनी चाहिए , अन्यथा बहुत दुख उठाना पड़ सकता है । 

अपने सामर्थ्य को जाने बिना दुसरो की नक़ल करना मुर्खता का चिन्ह है |

शत्रु की बातो में आकर अपने हितैषी मित्र को त्याग देने से निश्चित रूप से संकट आता है |

पराधीन होकर राजसुख भोगने की अपेक्षा , स्वाधीन रहकर भूख का कष्ट' उठाना हजारो गुना अच्छा है|

सर्वदा झूठ बोलने वालो के सत्य पर भी कोई विश्वास नहीं करता |

बाहुबल से जो कार्य नहीं होता , उसे बुद्धिबल से सम्पन्न किया जा सकता है|

बिना सोचे दुसरो की नक़ल करनेवाले की दुर्गति होती है | 

मनुष्य को सोच विचार कर अपनी कर्तव्य निर्धरित करके उसी के अनुसार दृढ़तापूर्वक चलना चाहिए |

भूखे व्यक्ति के लिए अन्न ही सबसे बड़ा रत्न है |

प्राय: देखने में आता है की कम कष्ठ करने वाला ज्यादा चिल्लाते है |

मनुष्य यदि दुसरो की नक़ल का प्रयास छोड़कर , अपने गुण अवगुण जानकार अपनी अवस्था से संतुष्ट रहे तो उसे दुःख नहीं उठाना पड़ता  है |

दुष्टो के साथ  ज्यादा मेल जोल अच्छा नहीं |

जगत में मनुष्य जो कुछ दुःख पाता है उनमे अधिकांश ही कामिनी कंचन की आसक्ति से आता है |

Inspirational short story

                                                    FATHER'S SHOES

“It’s not that easy to walk in those shoes.”
Someone said when I was trying to wear my father’s boots in my childhood. But why was it so difficult to walk in those shoes? Maybe, I thought, because those shoes were too loose for me. But was it the real reason? Or was there any symbolic meaning of that statement?
That time it was quite difficult for me to understand. But with growing years, I understood the true meaning of those words.
Those shoes need a person who is caring, loving, protective and at the same time strict. The person needs to do a lot of sacrifices. Forgive and correct his children for each and every mistake they do. Teach his children to work hard and behave good. Trust his children and stand by their side no matter what. Teach his children to lead an honest life. Providing financial resources to the family and protect them from any kind of problems. Being a daughter’s first love and a son’s superhero…..
Yes that’s not easy to walk in those shoes and only a dad can do that.
                                                                                                       
                                                                                                              Written By
                                                                                                  Renu J. Vishwambhar

Sunday, January 29, 2017

इन बातो को माने तो आपका जीवन सफल हो जायेंगे | काम की बातें

काम की बातें 

यौवन , बल , सत्ता तथा धन के मद में यह नही भुल जाना चाहिए की ये सभी सदा के लिए नहीं बल्कि क्षणभंगुर है ।

ईर्ष्या के कारण सभी को दुख उठाना पड़ता है ।

छोटे से छोटे जीव के प्रति भी दिखाई गयी अनुकंपा व्यर्थ नहीं जाती ।

खुशामदी लोग अपना मतलब सिद्ध करने  के लिए लोगो को चिकनी -चुपड़ी बातो से मुग्ध कर लेते है । उनकी झूठी प्रशंसा पर बिस्वास कर लेने से काफी हानि उठानी पड़ती है ।

लोगो को उपदेश नहीं सहायता की जरुरत  पड़ती है ।

कायर लोग बहुधा अपने साहस का दिखावा करते रहते है , पर मौके पर उन्हें पीठ दिखाते देर नहीं लगती ।

स्थान , काल व पात्र देखकर ही उपदेश देना उचित है ।

कोई भी कार्य आरंभ करने से पहले अपनी सामर्थ देख लेनी चाहिए ।

धीमी गति से भी , परंतु दृढ़तापूर्वक चलनेवाला अंत में सफलता हासिल करता है ।

मनुष्य  को अपनी दुरावस्था के समय निराश नहीं  होना चाहिए ।   हम चाहे जितनी भी कठिनाई में क्यों न हो , ऐसे अनेक लोग मिल जायेंगे , जिनकी अवस्था हमसे भी ख़राब होगी । बल्कि उनके प्रति संवेदना का भाव रखने से अपने कष्टों तथा कठिनाईयो की बात भी विस्मृत हो जाती है ।

संगठन में ही बल है । घास के छोटे छोटे टुकड़ो से बने हुए रस्से के द्वारा मतवाला हाथी भी बाँधा जा सकता है ।

मनुष्य को अपनी क्षमता के अनुरूप ही आकांक्षा रखनी चाहिए , अन्यथा बहुत दुख उठाना पड़ सकता है । 

Thursday, January 26, 2017

SUCCESS TIPS FOR STUDENTS


QUICK REVISION IN THE CLASS:


  • Revise previous day's class work when you reach and sit in class or before the teacher starts the class.
  • Revise today's class work when teacher finishes class and leaves.

QUICK REVISION AT HOME:


  • In the morning, after waking up, exercising or breakfast.
  • Before going to school.
  • In the night before going to sleep.
  • Again next morning.
  • SUNDAY- revise this week's class work two times.
  • MONTHLY (First or Last sunday of month)- Revise monthly class work.
STUDY AND LEARN AT HOME:
  • Slowly study to understand class work and to study on your own (self study).
  • Do numerical questions (ex. math)
  • Write and revise slowly to memorize difficult things.
AT HOME:
  • Do aerobic exercise for 30 minutes.
  • Take vitamins and minerals tablet.
  • Regularly do relaxation and deep breathing.
  • Sleep during day also.
  • Take practice test, similar to actual tests.
AT SCHOOL:
  • Tell teacher you are studying hard for competition, merit etc. (ex. PMT, PET, IAS)
  • Request a teacher to correct some of your answer books for practice tests.
  • Cooperate with other students (you are not competing only against them but also against lakh of others).
DURING EXAMS  DAYS AND DURING EXAMS:
  • Do not eat just before exam.
  • Use alpha-breathing and relaxation techniques.
  • Read questions slowly, think, plan and then write answer.
  • Sleep well do not study too hard, do not get tired.
GENERAL:
  • Read fast
  • Take notes using "mind maps" techniques.
  • Take rest after half an hour of study.
ATTENDING CLASSES:
  • Sit in the front row.
  • Bend little forward while sitting.
  • Participate actively.

जीवन में सफल होने के कुछ सूत्र

-  हम जो नही है , स्वयं को वह मानना आत्म प्रवंचना है । 
- अनिच्छा होते हुए भी हमे एक नियमित दैनन्दिन कार्यक्रम का पालन करना चाहिए । 
-सर्वदा कार्य में लगे रहना चाहिए उससे देह , मन ठीक रहता है । 
-तुम जो सोचोगे परिणाम में वही बनोगे । 
-परनिंदा नहीं करना चाहिए । परनिंदा से स्वयं की अवनति होती है । 
-जगत का इतिहास कुछ पवित्र , चरित्रवान, एवं श्रध्दा सम्पन्न लोगो का इतिहास है। 
-हमे तीन चीजो की आवश्यकता है । अनुभव करने के लिए ह्रदय , धारना करने के लिए मस्तिष्क और काम करने के लिए हाथ । 
-यदि तुम पवित्र हो, यदि तुम बलवान हो तो तुम अकेले ही संपूर्ण जगत के समकक्ष हो सकते है । 
-एकाग्र मनवाला व्यक्ति जिस वस्तु पर भी चिंतन करता है, वह तत्काल उसके समाधान को प्राप्त कर लेता है। 
-प्रकृति से विद्रोह , प्रकृति से संघर्ष, संग्राम यही जीवन है । प्रकृति की दासता तो मृत्यु है। 
-सभी प्रकार की निष्ठा का आधार है - सच्चे ह्रदय से चाह रखना । 
-क्या तुम एक विद्वान या महान चिंतक बनना चाहते हो ? इसके लिए तुम्हे अपने पाठ्य विषय के प्रति प्रगाढ़ प्रेम विकसित करना आवश्यक है। 
-एक बार अपने चयनित विषय के प्रति  तीव्र प्रेम का विकास हो जाने पर तुम स्वयं देखोगे की तुम्हारे सम्मुख नये नये विचार क्रमशः खुलते ही जा रहे है। 
-दुर्बल मस्तिष्क कुछ नहीं कर सकता , हमको अपने मस्तिष्क को बलवान बनाना होग। 
-बलवान व्यक्ति वह है जो जीवन की सभी आपदाओ में निर्विकार बना रहे। 
-हमे अपने आदर्श हेतु एकनिष्ठ व्याकुलता करनी चाहिए अन्यथा हम निष्ठावान नहीं बन सकते । 
-संदेहशील  भाव से हम जो भी ग्रहण करते है, वह दूरगामी नहीं होगा । 
-शब्दो की अपेक्षा उदाहरण बेहतर शिक्षा देती है । 
-जिसके पास कुछ न हो , उसका त्याग कोई अर्थ नहीं रखता । 
-यह हमारी आदत हो गयी है की हम एक दृष्टि से महान व्यक्ति को सभी दृष्टियों से महान समझ बैठते है । 
-हमारे बाहय क्रियाकलापो से हमारे विचारो और उद्देशो की झलक मिलती है । 
-स्वजनों तथा अन्य लोगो के बीच भेदभाव अज्ञान तथा देहासक्ति के कारन उपजता है तथा यह ईश्वरीय ज्ञान का विरोधी  है । 
-हममे मुक्ति की दृढ़ भावना होनी चाहिये। हमे कभी ऐसा नहीं लगना चाहिए की हम किसी वस्तु अथवा व्यक्ति के प्रति आसक्त है । 
-अध्यत्मिकता में प्रगति लाभ करने के लिए ब्रम्हचर्य का अभ्यास नितांत आवश्यक है । 
-सामान्य मनुष्य में शक्ति और धैर्य दोनों संतुलित मात्रा में होने चाहिए । 
-दोष देखना बड़ा ही सहज है, गुण देखना महापुरुषो का धर्म । 
-बालक सम सरल हो लेकिन मूर्ख नहीं । 
-हमें बालक की पवित्रता और सरलता के साथ पौढ़ व्यक्ति की बुध्दिमत्ता और परिपक्वता का समन्वय करना चाहिए । 
-विषय में जितना आसक्त  होते हो विषय संबंधी ज्ञान भी उतना ही होता है । 
-ज्ञान की प्राप्ति के लिए एक ही मार्ग है वह है एकाग्रता । 
-ध्यान के अभ्यास से मानसिक एकाग्रता प्राप्त होती  है । 
-कड़े ब्रम्चार्य के पालन से कोई भी विद्या अल्प समय में अवगत हो जाता है । 
-स्वतंत्रता ही उन्नति का प्रथम शर्त है । 
-दुसरो पर निर्भर रहना बुध्दिमान का कार्य नहीं है आत्मनिर्भर रहना ही बुध्दिमान का कार्य है । 
-सत्वगुण के लक्षण है- मुखमंडल पर चमक , हृदय में अदम्य उत्साह , अतुल चपलता। 
-तमोगुण के लक्षण है - आलस्य , जड़ता , मोह तथा निद्रा आदि । 

Monday, January 16, 2017

Ordnance Factory Recruitment 2017

Ordnance Factory Recruitment 2017- ITI Apprentice & Non ITI Apprentice (6948 vacancies)

"Online" Applications are invited Indian Citizens from Ordnance Factory recruitment 2017 Ordnance Factories Recruitment for 6948 various ITI & Non ITI Apprentice Posts IOF 6948 Trade Apprentice recruitment 2017 ITI Pass can apply online more details given below...

Details of Vacancies
No. of Posts:-

Trade Apprentice:- Total 6948 vacancies

ITI Apprentice:- 3621 posts

Non ITI Apprentice:- 3327 posts

Educational Qualification:- Matriculation or equivalent examination Passed. Must  possess NAC/ NTC Certificate issued by National Council for Vocational Training (NCVT) in the relevant Trade.

Age Limit:- 18 to 24 years as on last of submission of online from (Age Relaxation will be provided as per Govt. Rules).

How to Apply:- Interested eligible candidates should apply Online only Any other mode of submission of application would not be accepted For detailed advertisement & procedure log on to
http://ofb.gov.in Online submission

Important Dates 

Start online Submission application:- 17/01/2017
Last Date:- 07/02/2017