काम की बातें
यौवन , बल , सत्ता तथा धन के मद में यह नही भुल जाना चाहिए की ये सभी सदा के लिए नहीं बल्कि क्षणभंगुर है ।
ईर्ष्या के कारण सभी को दुख उठाना पड़ता है ।
छोटे से छोटे जीव के प्रति भी दिखाई गयी अनुकंपा व्यर्थ नहीं जाती ।
खुशामदी लोग अपना मतलब सिद्ध करने के लिए लोगो को चिकनी -चुपड़ी बातो से मुग्ध कर लेते है । उनकी झूठी प्रशंसा पर बिस्वास कर लेने से काफी हानि उठानी पड़ती है ।
लोगो को उपदेश नहीं सहायता की जरुरत पड़ती है ।
कायर लोग बहुधा अपने साहस का दिखावा करते रहते है , पर मौके पर उन्हें पीठ दिखाते देर नहीं लगती ।
स्थान , काल व पात्र देखकर ही उपदेश देना उचित है ।
कोई भी कार्य आरंभ करने से पहले अपनी सामर्थ देख लेनी चाहिए ।
धीमी गति से भी , परंतु दृढ़तापूर्वक चलनेवाला अंत में सफलता हासिल करता है ।
मनुष्य को अपनी दुरावस्था के समय निराश नहीं होना चाहिए । हम चाहे जितनी भी कठिनाई में क्यों न हो , ऐसे अनेक लोग मिल जायेंगे , जिनकी अवस्था हमसे भी ख़राब होगी । बल्कि उनके प्रति संवेदना का भाव रखने से अपने कष्टों तथा कठिनाईयो की बात भी विस्मृत हो जाती है ।
संगठन में ही बल है । घास के छोटे छोटे टुकड़ो से बने हुए रस्से के द्वारा मतवाला हाथी भी बाँधा जा सकता है ।
मनुष्य को अपनी क्षमता के अनुरूप ही आकांक्षा रखनी चाहिए , अन्यथा बहुत दुख उठाना पड़ सकता है ।
No comments:
Post a Comment