Thursday, February 9, 2017

जीवन में ध्यान देने योग्य बहुत आवश्यक बाते

आज कल हम सभी किताबी ज्ञान तो हासिल कर लेते है पर कही न कही अपने जीवन में व्यावारिक ज्ञान की कमी होने के कारण अपने जीवन में बहुत दुःख उठाना पढता है | पग पग पर ठोकर खाना पढता है | अगर हमने कुछ व्यावारिक ज्ञान को आत्मसात कर सके तो जीवन के पथ को आसान बना सकते है | 
१) सबसे विनयपूर्वक मीठी वाणी से बोलना चाहिए |
२) किसी की चुगली या निंदा नहीं करना चाहिए |
३) किसी के सामने किसी भी दुसरे की कही हुई ऐसी बात को न कहना , जिससे सुननेवाले के मन में उसके प्रति      द्वेष या दुर्भाव पैदा हो या बढे |
४) जिससे किसी के प्रति सदभाव तथा प्रेम बढे , द्वेष हो तो मिट जाये या घट जाये , ऐसी ही उसकी बात किसी के      सामने कहना |
५) किसी को ऐसी बात कभी न कहना जिससे उसका दिल दुःखे |
६) बिना कार्य ज्यादा न बोलना,  किसी के बीच में न बोलना, बिना पूछे अभिमानपूर्वक सलाह न देना, ताना न            मारना, शाप न देना |
७) जहाँ तक हो परचर्चा न करना , जगचर्चा न करना |
८) घर आये हुए का आदर सत्कार करना, विनय सम्मान के साथ हसते हुए बोलना |
९) किसी के दुःख के समय सहानुभूतिपूर्ण वाणी से बोलना | हँसना नहीं |
१०) किसी को कभी चिढाना नहीं |
११) अभिमान वश घरवालो को या कभी किसी को मुर्ख, मंदबुद्धि, नीच वृत्तिवाला न मानना, सच्चे ह्रदय से सबका        सम्मान व हित करना |
१२) मन में अभिमान तथा दुर्भाव न रखना, वाणी से कठोर तथा निंदनीय शब्दो का उच्चारण न करना | 
१३) सदा मधुर विनम्रतायुक्त वचन बोलना | मुर्ख को भी मुर्ख कहकर उसे दुःख न देना |
१४) किसी का अहित हो ऐसी बात न सोचना , न कहना और न कभी करना |
१५) धन, जन, विद्या , जाती , उम्र , रूप , स्वास्थ, बुद्धि आदि का कभी अभिमान न करना |
१६) भाव से, वाणी से, इशारे से भी कभी किसी का अपमान न करना | किसी की खिल्ली न उड़ाना |
१७) फैशन के वश में न होना | कपडे साफ़ सुथरे पहनना परन्तु फैशन के लिए नहीं |
१८) अपना काम जहाँ तक हो सके स्वयं ही करना | अपना काम  खुद करने में शर्माना नहीं | काम करने में                  उत्साही रहना | 
१९) किसी भी नौकर का कभी अपमान न करना | तिरस्करयुक्त बोली न बोलना |
२०) दुसरो की सेवा करने का अवसर मिलने पर सौभाग्य मानना और विनम्रभाव से सेवा करना |
२१) खर्च न बढ़ाना, खर्चीली आदत न डालना, अनावश्यक चीजे न खरीदना, अनावश्यक वस्तुओ का संग्रह न              करना |
२२) मन में सदा प्रसन्न रहना, चहेरे को प्रसन्न रखना, रोनी सूरत न रखना तथा रोनी जुबान न बोलना |
२३) जीवन में कभी निराश न होना | निराशा के विचार ही न करना | दुसरो को उत्साह दिलाना, किसी की हिम्मत        न तोडना, उसे निराश न करना |
२४) आपस में कलह बढे ऐसा काम शरीर मन वचन से न करना |
२५) शौकीनी की चीजो से जहाँ तक हो सके दूर ही रहना |
२६) सदा उत्साहपूर्ण सर्वहितकर, सुखपूर्ण, शांतिमय,पवित्र विचार करना |
२७) बुरा काम करनेवाले के प्रति उपेक्षा करना, उसका संग न करना और उसका बुरा भी न चाहना | बुरे काम से         घृणा करना |
२८) गरीब और अभावग्रस्त को चुपचाप आपसे जितना भी हो सके सहायता करना , पर उसके बदले में कुछ न          चाहना |
२९) दुसरो से सेवा कराना नहीं, दुसरो की सेवा करना | दुसरो से आशा रखना नहीं, दूसरा कोई आशा रखता हो          तो भरसक उसे पूरा करना |
३०) दुसरो से मान चाहना नहीं, सर्वदा दुसरो को मान देना |
३१) किसी से द्वेष न करना, पर बेमतलब मोह ममता भी न जोड़ना |
३२) बढिया खाने पहनने से यथासाध्य परहेज़ रखना, सादा खान-पान , सादा पहनावा रखना |
३३) कपट का व्यवहार न करना | किसी को ठगना नहीं |
३४) आमदनी से कम खर्च करना, कम खर्च करने तथा सादगी से रहने में अपमान न समझना बल्कि गौरव                  समझना |
३५) किसी भी प्रकार के व्यसन की आदत न डालना |
३६) विकार पैदा करनेवाला अश्लील साहित्य न पढना, चित्र न देखना, बातचीत न करना |
३७) आज का काम कल पर और अभी का पीछे पर न छोड़ना |




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